Translate

Translate

यह ब्लॉग खोजें

यह ब्लॉग खोजें

यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

बीमा सुधार- बदलाव के रास्ते पर ।

बीमा सुधार- बदलाव के रास्ते पर
 भारत में बीमा उद्योग 250 अरब डॉलर का है जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार के 4/5वें हिस्से के बराबर है। लेकिन बीमा संशोधन विधेयक पारित होने में अभूतपूर्व देरी के कारण इसके विकास में बाधा पड़ी है। बीमा विधेयक को 10 वर्ष बाद हाल ही में संसद द्वारा पारित किया गया।
 जीवन बीमा के अगले 10 वर्षों में हर वर्ष 12 प्रतिशत की दर से और सामान्य बीमा के 22 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है क्योंकि बीमा में निवेश दुनिया में होने वाले निवेश की तुलना में काफी कम है। लेकिन रास्ते में जो अड़चन है वह है नई पूंजी, खासतौर से विदेशी पूंजी निवेश, जो तभी संभव है जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाया जाए। बीमा संशोधन विधेयक ने एफडीआई की सीमा वर्तमान 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करके निश्चित रुप से यह काम किया है।
 उद्योग के लिए पिछले तीन वर्ष चुनौतीपूर्ण रहे हैं क्योंकि जीवन बीमा प्रीमियम में नकारात्मक वृद्धि देखने को मिली और गैर जीवन लाभप्रदता में काफी चुनौतियां आई हैं। यह वृहद आर्थिक कारकों के मिश्रण और बीमा उद्योग में मौजूद ढांचागत चुनौतियों से चालित है। भारतीय उद्योग परिसंघ का मानना है कि उद्योगपतियों की सम्मिलित कार्रवाई से इसे पलटा जा सकता है। बीमा संशोधन विधेयक नियामक सुधार भी लाया है।
 सीआईआई ने ग्लोबल कंसलटेंसी फर्म मैकेन्ज़ी के साथ एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें कहा गया है कि भारत में बीमा उद्योग अपने विकास में बदलाव के बिन्दु पर है। सरकार के सुधारात्मक अभियान और प्रतिबद्धता के साथ, उद्योग अगले दशक तक उपभोक्ता केन्द्रित और मूल्य सृजन बनकर इस दूरदर्शिता को हासिल कर सकता है। समग्र विकास से भारत दुनिया के 10 शीर्ष बीमा बाजारों में से एक होगा जहां लिखित सकल प्रीमियम का आकार 250 अरब डॉलर होगा।
 भारत में जीवन बीमा कवर में निवेश की स्थिति बहुत खराब है और यह आबादी का 1 प्रतिशत से भी कम है। इस क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के लिए खोलने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 1990 के दशक के अंत में 26 प्रतिशत करने के साथ ही जीवन बीमा कवर 2012 तक आबादी के 3.7 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गया। एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के साथ ही आजीवन बीमा कवर करीब दोगुना होकर अगले पांच वर्ष में आबादी का 6 प्रतिशत और 2025 तक 10 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। यह कहना सही नहीं होगा कि इस क्षेत्र को खोलने से सरकार के स्वामित्व वाला भारतीय जीवन बीमा निगम कमजोर हुआ है। सच्चाई तो यह है कि इसके खुलने से एलआईसी को मदद मिली क्योंकि इस क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियां आई और प्रतिस्पर्धा ने सरकारी संगठऩ को अधिक आक्रामक बना दिया। जीवन बीमा पर एलआईसी का वार्षिक प्रीमियम 19000 करोड़ रुपए से बढ़कर शताब्दी के अंत तक 3.64 लाख करोड़ हो जाएगा।

मिशन इंद्रधनुष

मिशन इंद्रधनुष
(90% बच्चों को अगले पांच वर्षों 2020 तक यह टीका लगाना है )
टीकाकरण बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक कारगर हथियार साबित हुआ है। दुनिया के सभी देशों में चुनिंदा टीकाकरण कार्यक्रमों के जरिये उच्च जोखिम वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। टीकाकरण कार्यक्रम में टीकों की संख्या अगल-अगल देश में भिन्न-भिन्न होती है। दुनिया के अधिकांश देशों में डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, खसरा और हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियों के खिलाफ कुछ चयनित टीके लगाए जाते रहे हैं जो नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के हिस्सा हैं।
 किफायती टीकाकरण कार्यक्रम कारगर साबित हुए हैं। हालांकि इन टीकाकरण कार्यक्रमों का लाभ कई उन बच्चों को नहीं मिल पा रहा है जो उच्च जोखिम वाली बीमारियों की गिरप्त में होते हैं। इन टीकाकरण कार्यक्रमों से वंचित रहने वालों में उन बच्चों की संख्या ज्यादा है जो विकासशील देशों के होते हैं। तमाम अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों के दायरे से बाहर रहने वाले वे बच्चे होते हैं जिनके माता-पिता अथवा अभिभावक या तो इन मुहिमों से अनभिज्ञ होते हैं या टीकाकरण को लेकर उनके मन में कोई आशंका या भय व्याप्त होता है। जागरूकता अभियान के माध्यम से इन कार्यक्रमों को रेखांकित करना होगा ताकि उनको प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। साथ ही माता-पिता अथवा अभिभावकों के मन से टीकाकरण कार्यक्रमों को लेकर व्याप्त किसी प्रकार की आशंका या डर को समाप्त किया जा सके।
 भारतीय परिदृश्य
 भारत में हर साल 2.7 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं। करीब 18.3 लाख बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन मनाने से पहले ही मर जाते हैं। कम आय़ अर्जित करने वाले परिवारों के ज्यादातर बच्चे बीमारियों का शिकार होते हैं। भारत में रिकॉर्ड तौर पर 5 लाख बच्चे टीकाकरण से ठीक होने वाली बीमारियों के चलते हर साल दम तोड़ देते हैं। टीकाकरण से ठीक होने वाली बीमारियों के कारण बाल मृत्युदर सबसे अधिक है जबकि भारत के 30 फीसदी बच्चे हर साल पूर्ण टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। यही कारण है कि एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 89 लाख बच्चों को या तो केवल कुछ ही टीके लग पाते या तो कई बिल्कुल ही इससे वंचित रह जाते हैं। भारत में प्रत्येक 3 बच्चों में एक बच्चा यूआईपी के तहत उपलब्ध पूर्ण टीकाकरण का लाभ नहीं ले पाता है। शहरी क्षेत्रों के पांच प्रतिशत जबकि ग्रामीण इलाकों में आठ प्रतिशत बच्चे टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं।
 भारत सरकार ने बाल मृत्यु रोकने के लिए सबसे कम लागत में प्रभावी टीकाकरण शुरू करने का कार्यक्रम चलाया है। भारत का व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम देश में सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में से एक है जिसके तहत देश भर के 35 राज्यों में 27,000 वैक्सीन भंडारण इकाइयों के साथ एक व्यापक वैक्सीन वितरण प्रणाली काम कर रही है।
 सर्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यू.आई.पी.)
टीका लगाने की संख्या, लाभार्थियों की संख्या, संगठित टीकाकरण सत्र की संख्या, कवर क्षेत्रों का भौगोलिक प्रसार और विविधता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। डीपीटी, ओपीवी और बीसीजी के साथ जीवन के पहले वर्ष के दौरान सभी बच्चों के टीकाकरण की राष्ट्रीय नीति 1978 में अपनाई गई। इसके तहत एक वर्ष की उम्र तक पहुंचने से पहले ही प्राथमिक टीकाकरण की श्रृंखला को पूरा कर लिया जाता है। प्रारंभिक अवस्था में 80% टीकाकरण करने के मकसद से ईपीआई कार्यक्रम को शुरू किया गया था। सर्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यू.आई.पी.) को 1985 में चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया और 1990 में बच्चों को अनुपूरक तौर पर विटामिन ए देने का कार्यक्रम भी जोड़ा गया।
 यूआईपी के तहत टीकाकरण कार्यक्रम
1. बीसीजी (बैसिल्लस काल्मेट्ट ग्यूरिन) जन्म के समय 1 खुराक (अगर पहले नहीं दिया गया है तो एक साल तक इसे दे सकते हैं)
2. डीपीटी (डिप्थीरिया, पर्टसिस और टेटनस टॉक्साइड) 5 खुराक; पहली तीन खुराक क्रमशः 6 सप्ताह, 10 सप्ताह एवं 14 सप्ताह और दो वर्धक खुराक 16-24 महीने और पांच वर्ष पर दी जाती हैं।
3. ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) 5 खुराक; 1 खुराक जन्म के समय, तीन प्राथमिक खुराक क्रमशः 6, 10 औऱ 14 सप्ताह के अंतराल पर दिए जाते हैं औऱ एक बुस्टर खुराक 16-24 महीने पर दिया जाता है।
4. हेपटाइटिस बी टीका की चार खुराक; 0 खुराक जन्म के 24 घंटे के भीतर दी जाती हैं जबकि तीन 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में।
5. खसरा की दो खुराकें; पहली खुराक 9-12 महीने पर और दूसरी 6-24 महीने पर दी जाती है।
6. टीटी (टिटनस टॉक्सॉइड) इसकी दो खुराकें दी जाती हैं जिनमें एक 10 की उम्र में जबकि दूसरी 16 वर्ष की उम्र में दी जाती है।
7. गर्भवती महिलाओं के लिए टीटी की दो खुराकें या अगर एक खुराक पहले तीन साल के भीतर टीके लगाए।
8. इसके अतिरिक्त, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई वैक्सीन) टीका 2006-10 के दौरान चरणबद्ध तरीके से अभियान के रूप में 112 स्थानिक जिलों में शुरू की गई थी और अब इसे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है।
 भारत ने 2014 में तीन नए टीके की शुरुआत के साथ अपने प्रतिरक्षण कार्यक्रम का विस्तार किया। पूर्ण टीकाकरण का लाभ देश के सभी बच्चों को मिले यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है।
 चुनौतियां
 सभी सकारात्मक परिवर्तनों के बावजूद इस कार्यक्रम में कई चुनौतियां और कमियां अब भी बरकरार हैं। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीकों का दायरा जरूरत से कम है और आंतरिक और अंतरराज्यीय स्तर पर अंतर अनुकूलतम स्थिति की ओर इशारा नहीं करते हैं। राज्यों और जिलों के भीतर आंशिक रूप से टीकारण का लाभ लेने वाले और इससे वंचित रहने वाले बच्चों के अनुपात में व्यापक अंतर आ रहा है। आंकड़ों का एकत्रीकरण और रिपोर्टिंग उपानुकूलतम स्थिति को दिखाते हैं तथा बीमारियों की निगरानी प्रणाली में और सुधार किए जाने की जरूरत है। यह इन कारणों का पता लगाने और उन जिलों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है जहां व्यवस्थित टीकाकरण अभियान चलाए की जरूरत है। इसके अलावा, सभी उपलब्ध जीवन रक्षक टीकों के साथ सभी बच्चों तक पहुंचने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है।
 उपलब्ध ज्ञान और अतीत से सीख लेते हुए लक्षित लाभार्थियों को जीनवरक्षक टीके पहुंचाने में पेश आ रही चुनौतियों को रेखांकित किए जाने की जरूरत है। बीमारियों से निपटने के लिए भारत में प्रयास हो रहा है। हालांकि देश में टीकाकरण का इतिहास बताता है कि अनिच्छा औऱ टीकाकरण की धीमी गति के कारण लोगों के बीच इस मुहिमों को स्वीकृति मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अतीत की घटनाओं से सबक लेते हुए और उसका विश्लेषण करते हुए टीकाकरण के प्रयासों का मार्गदर्शन करने के लिए कुछ चीजें निर्धारित की गई हैं।

शनिवार, 7 मार्च 2015

अटल पेंशन योजना


निवेश के आधार पर तय होगी मासिक पेंशन की राशि


अटल पेंशन योजना के तहत 60 साल के बाद असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को 1,000 रुपए से 5,000 रुपए प्रति माह का पेंशन मिलेगा। पेंशन की राशि उनके योगदान के अलावा इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वे किस उम्र में इस स्‍कीम से जुड़ते हैं।

इस स्‍कीम से जुड़ने की क्‍या है उम्र

अटल पेंशन योजना से जुड़ने की न्‍यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 40 साल है। इसलिए, अटल पेंशन योजना में निवेश करने वाले व्‍यक्ति को कम से कम 20 साल तक निवेश करना होगा। इसके अंतर्गत निश्चित पेंशन मिलने की गारंटी सरकार देती है।

सरकार भी करेगी योगदान

अटल पेंशन योजना के अंतर्गत सब्‍सक्राइबर के योगदान का 50 फीसदी या 1,000 रुपए सालाना, जो भी कम होगा, का योगदान केंद्र सरकार करेगा। सरकार पांच साल तक प्रत्‍येक योग्‍य खाते में यह योगदान करेगी।


किस उम्र में कितना निवेश करने पर मिलेगा 5,000 रुपए प्रति माह का पेंशन

एपीवाई से जुड़ने की उम्र

कितने वर्षों तक करना होगा योगदान

सांकेतिक मासिक योगदान

सब्‍सक्राइबर और उसके जीवन साथी को मिलने वाली पेंशन की राशि

सब्‍सक्राइबर के नॉमिनी को मिलने वाला सांकेतिक फंड

18

42

210

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

20

40

248

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

25

35

376

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

30

30

577

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

35

25

902

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

40

20

1,454

5,000 रुपए

8.5 लाख रुपए

 

सोमवार, 2 मार्च 2015

budget 2015-2016

📌बजट में खास:-
✅पान मसाला, गुटखा, सिगरेट महंगा होगा।
✅ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट 800 से बढ़ाकर 1600 रुपए की गई।
✅पेंशन फंड पर छूट एक लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए की गई।
✅हेल्थ इंश्योरेंस पर छूट की सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30 हजार।
✅स्वच्छ भारत के लिए अलग से दो फीसदी सेस लगेगा।
✅एक हजार से अधिक मूल्य के चमड़े के जूते सस्ते होंगे।
✅सर्विस टैक्स 12.36 से बढ़ाकर 14 फीसदी करने का प्रस्ताव।
✅सुकन्या योजना में 80 सी के तहत छूट।
✅केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी 12.5 फीसदी होगी।
✅एक लाख की ट्रांजेक्शन पर PAN देगा होगा। अब तक पचास हजार से ऊपर की ट्रांजेक्शन पर देना होता है PAN
✅अमीरों पर दो फीसदी सरचार्ज लगेगा।
✅उत्पादन के लिए विदेश से आने वाले पुर्जे सस्ते होंगे।
✅वेल्थ टैक्स खत्म, सुपर रिच सरचार्च लगेगा।
✅आम बजट 2015: पीएम सुरक्षा बीमा योजना होगी लॉन्च
✅मेक इन इंडिया के जरिए रोजगार सृजित किए जाएंगे।
✅काले धन को लेकर सरकार ने बजट में दिए सख्ती के संकेत।
✅विदेश में काला धन छिपाने पर सात साल की सजा होगी। आईटी रिटर्न में बतानी होगी विदेशी संपत्ति।
✅काला धन छिपाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
✅इनकम टैक्स का स्लैब पुराने वाला ही रहेगा।
✅इनकम टैक्स में बदलाव नहीं। मिलने वाली छूट जारी रहेगी।
✅कॉर्पोरेट टैक्स में पांच फीसदी छूट। 30 से घटाकर 25 फीसदी किया जाएगा। रिबेट भी कम होगा।
✅अगले साल से जीएसटी लागू किए जाने की कोशिश।
✅नमामि गंगे योजना के लिए 4 हजार 71 करोड़ रुपये
✅टैक्स नीति स्थिर करने की जरूरत।
✅ISM धनबाद को आईआईटी का दर्जा दिया जाएगा
✅योजना खर्च- 465277 करोड़, गैर योजना करोड़- 1312200 करोड़।
✅सिंगापुर की तरह गुजरात में नया वित्तीय केंद्र बनेगा।
✅व्यावसायिक विवाद को सुलझाने के लिए नया कानून बनेगा।
✅नमामि गंगे 246727 करोड़ का प्रावधान।
✅स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 33152 करोड़ रुपए का प्रावधान।
✅आवास एवं शहरी करोड़ के लिए 22407 करोड़ रुपए का प्रावधान।
✅बिहार और पश्चिम बंगाल को अतिरिक्त मदद का ऐलान।
✅अरुणाचल प्रदेश में फिल्म इंस्टिट्यूट।
✅जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश में आईआईएम।
✅सरकारी खरीद में करप्शन रोकने के लिए प्रणाली बनाई जाएगी।
✅स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया में तालमेल की जरूरत।
✅54 फीसदी युवा आबादी के लिए दक्षता बढ़ाने की जरूरत।
✅दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के लिए फंड की शुरुआत।
✅तमिलनाडु, असम, पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में एम्स।
✅150 देशों के पर्यटकों को वीजा ऑन अरायवल की सुविधा दी जाएगी।
✅महिला सुरक्षाः निर्भया फंड में एक हजार करोड़ का प्रावधान।
✅देश में 25 वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं। इनके जीर्णोद्धार के लिए फंड की व्यवस्था।
✅इंडियन गोल्ड कॉइन जारी करेगी सरकार, अशोक स्तंभ बना होगा सिक्कों पर।
✅काले धन पर लगाम लगाने के लिए नकद ट्रांजेक्शन कम करने के उपाय होंगे।
✅काला धन रोकने के लिए उपाय किए जाएंगे।
✅गोल्ड अकाउंट में सोने पर भी मिलेगा ब्याज। गोल्ड बॉन्ड भी जारी होंगे।
✅ईपीएफ या एनपीएस चुनने का मिलेगा विकल्प।
✅EPF में कर्मचारियों को विकल्प मिलेगा।
✅जीएसटी लागू करने का लक्ष्य।
✅जेटली का कहना है कि सरकार चाहती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की टैक्स प्रणाली देश में लागू हो।
✅सेबी और एफएमसी का विलय होगा।
✅वायदा बाजार को और मजबूत करने और सट्टेबाजी रोकने की दिशा में काम होगा।
✅ज्यादा टैक्स मिला तो मनरेगा में पांच हजार करोड़ रुपए और देंगे।- जेटली
✅5 नई अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना की शुरुआत होगी। पांच हजार मेगावाट की होगी योजनाएं।
✅ई-बिज पोर्टल की शुरुआत, परमिशन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
✅अल्पसंख्यक युवाओं के लिए नई मंजिल योजना शुरू की जाएगी। 3 हजार 738 करोड़ रुपये नई मंजिल योजना के लिए देगी सरकार।
✅आईटी इंडस्ट्री के सेटू नाम की योजना, 1000 करोड़ का फंड।
✅बंदरगाहों का अपनी कंपनियां बनाने की छूट दी जाएगी।
✅स्टार्ट्स अप के लिए एक हजार करोड़ रुपए का फंड।
✅रेल और रोड के लिए टैक्स फ्री बॉन्ड।
✅150 करोड़ रुपए रिसर्च और डिवलेपमेंट फंड की शुरुआत।
✅20 हजार करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा।
✅टैक्स फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड की शुरुआत होगी।
✅गरीब लोगों की सामाजिक सुरक्षा के लिए तीन योजना शुरू होगी। अटल पेंशन योजना, पीएम बीमा योजना और ज्याति ईपीएफ योजना।
✅अटल पेंशन योजना शुरू होगी। एक हजार सरकार देगी, एक हजार लोग।
✅प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना शुरु होगी। 12 रुपए के प्रीमियम पर दो लाख का बीमा।
✅प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना शुरु होगी।
✅2015-16 का बजटः किसानों का ऋण देने के लिए 8.5 लाख करोड़ का प्रावधान।
✅मनरेगा के लिए 34699 करोड़ रुपए का प्रावधान।
✅ग्रामीण विकास फंड के लिए 25 हजार करोड़ आवंटित करने का प्रावधान।
✅जेटली ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमीर लोग गैस सब्सिडी लेना छोड़ेंगे। सब्सिडी जरूरतमंदों तक पहुंचाने पर जोर रहेगा।
✅जेटली ने बजट में भूमि हेल्थ कार्ड का जिक्र किया।
✅जेटली ने कहा कि उनकी सरकार विनिवेश पर जोर देगी।
✅जेटली ने कहा कि अगले साल वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे।
✅जेटली ने कहा कि वेतन आयोग की रिपोर्ट भी आनी है जो सरकारी कोष पर असर डालेगी।
✅इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश की जरूरत है- जेटली
✅सरकारी घाटे को काबू में रखना है- जेटली
✅राजस्व का 62 फीसदी हिस्सा राज्यों को- जेटली
✅समावेशी विकास के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों पर जोर देना होगा।
✅जीडीपी के 8 से 8.5 तक रहने का अनुमान है।
✅2022 तक हर परिवार को घर और परिवार के एक शख्स को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

Swine flu

स्वाइन फ्लू ने सारे देश में दहशत मचा रखी है। अचानक यह महामारी सुरसा की तरह फैली और देखते ही देखते महानगरों को अपनी चपेट में ले लिया। आमतौर पर पशुओं और पालतू जानवरों को होने वाले वायरस के हमले कभी इंसानों तक नहीं पहुँचते। इसकी वजह यह है कि जीव विज्ञान की दृष्टि से इंसानों और जानवरों की बनावट में फर्क है। अभी देखा यह गया था कि जो लोग सूअर पालन के व्यवसाय में हैं और लंबे समय तक सूअरों के संपर्क में रहते हैं, उन्हें स्वाइन फ्लू होने का जोखिम अधिक रहता है।
मध्य 20वीं सदी से अब तक के चिकित्सा इतिहास में केवल 50 केसेस ही ऐसे हैं जिनमें वायरस सूअरों से इंसानों तक पहुँचा हो। ध्यान में रखने योग्य यह बात है कि सूअर का माँस खाने वालों को यह वायरस नहीं लगता क्योंकि पकने के दौरान यह नष्ट हो जाता है।
क्या है लक्षण 
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं। बुखार, तेज ठंड लगना, गला खराब हो जाना, मांसपेशियों में दर्द होना, तेज सिरदर्द होना, खाँसी आना, कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। इस साल इंसानों में जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है,वह तीन अलग-अलग तरह के वायरसों के सम्मिश्रण से उपजा है। फिलहाल इस वायरस के उद्गम अज्ञात हैं।
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह वायरस अब केवल सूअरों तक सीमित नहीं है, इसने इंसानों के बीच फैलने की कुवत हासिल कर ली है। अमेरिका में 2005 से अब तक केवल 12 मामले ही सामने आए हैं। एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है कि यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है कि एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता।
क्या है खतरा
1930 में पहली बार ए1एन1 वायरस के सामने आने के बाद से 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इनके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम सामने है वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस के म्यूटेट करने का जोकि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो सकता है। चूँकि यह इंसानों के बीच फैलता है इसलिए सारे विश्व के इसकी चपेट में आने का खतरा है।
कैसे बचेंगे
सूअरों को एविएन और ह्यूमन एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन दोनों का संक्रमण हो सकता है। इसलिए उसके शरीर में एंटीजेनिक शिफ्ट के कारण नए एन्फ्लूएंजा स्ट्रेन का जन्म हो सकता है। किसी भी एन्फ्लूएंजा के वायरस का मानवों में संक्रमण श्वास प्रणाली के माध्यम से होता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का खाँसना और छींकना या ऐसे उपकरणों का स्पर्श करना जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, उन्हें भी संक्रमित कर सकता है। जो संक्रमित नहीं वे भी दरवाजा के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टॉयलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो सकते हैं।
क्या है सावधानियाँ
सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियाँ इस वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखी जानी चाहिए। बार-बार अपने हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना जरूरी होता है जो वायरस का खात्मा कर देते हैं। नाक और मुँह को हमेशा मॉस्क पहन कर ढँकना जरूरी होता है। इसके अलावा जब जरूरत हो तभी आम जगहों पर जाना चाहिए ताकि संक्रमण ना फैल सके।
क्या है इलाज 
संक्रमण के लक्षण प्रकट होने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है। इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है तथा बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है। तत्काल किसी अस्पताल में मरीज को भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रह सकें। अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। अखबार Le Monde को फ्रांस सरकार से सूची मिली। खुफिया सूत्रों से यह सूची वहां तक पहुंची। एचएसबीसी बैंक के एक लाख से ज्यादा खाताधारकों की सूची मिली। Le Monde ने 45 देशों के पत्रकारों की सहायता से इस सूची की जांच को आगे बढ़ाया। भारत में इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी तहकीकत की। इसके बाद इंडियन एक्सप्रेस ने इन नामों का खुलासा किया है। इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि इस सूची में 1,195 भारतीयों के नाम है जिनके खातों में 25,420 करोड़ रुपए जमा हैं।

इंडियन एक्‍सप्रेस ने जिन नामों का खुलासा किया है, उनमें कितनी रकम है-


इंडियन एक्‍सप्रेस में छपा खातेदार का नाम खाते में जमा रकम (एक डॉलर=62 रुपए के हिसाब से ) कारोबार अखबार ने ली प्रतिक्रिया
मुकेश अंबानी 164.92 करोड़ रुपए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अनाधिकृत अकाउंट नहीं है।
अनिल अंबानी 164.92 करोड़ रुपए रिलायंस टेलीकॉम के चेयरमैन  ऑफिस ने कहा, एचएसबीसी में कोई ओवरसीस अकाउंट नहीं
नरेश कुमार गोयल 116 करोड़ रुपए जेट एयरवेज के चेयरमैन प्रवक्ता ने कहा, गोयल एनआरआई हैं और दुनिया के किसी भी देश में अकाउंट रख सकते हैं।
बर्मन परिवार 77.5 करोड़ रुपए डाबर कंपनी संचालित करता है यह परिवार आनंद राज बर्मन ने कहा, 1999 से एनआरआई हूं और ब्रिटेन में भी टैक्स पेयर हूं।
अनुराग डालमिया 59.5 करोड़ रुपए डालमिया ब्रदर्स इनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
स्मिता ठाकरे
(दिवंगत बाल ठाकरे की बहू)
 64 लाख रुपए फिल्म प्रोड्यूसर बेटेे की शादी में व्यस्त हैं इसलिए प्रतिक्रिया नहीं दी।
परनीत कौर
(पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी)
 रकम का खुलासा नहीं किया गया है। कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। ‘मेरा किसी भी विदेशी बैंक में कोई अकाउंट नहीं है।’
राजन प्रसाद नंदा
(इनकी पत्नी रितु नंदा दिवंगत बॉलीवुड एक्टर राज कपूर की बेटी हैं।)
 रकम का खुलासा नहीं एस्कॉर्ट ग्रुप के चेयरमैन ‘मुझे नौ महीने पहले नोटिस मिला था और टैक्स अधिकारियों को जवाब दे चुका हूं’
नीलम और नीलेश नारायण राणे रकम का खुलासा नहीं महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे की पत्नी और बेटा। नीलेश खुद भी सांसद रह चुके हैं। नीलेश राणे का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी भी खाते के बारे में जानकारी नहीं है।
यशोवर्धन बिड़ला रकम का खुलासा नहीं यश बिरला ग्रुप के चेयरमैन कंपनी के एक सीए का कहना है कि उन्होंने हर काम भारतीय कानून के हिसाब से ही किया है।
रितु (महिमा) चौधरी रकम का खुलासा नहीं लिस्ट में यह अकेली एक्ट्रेस और मॉडल हैं। महिमा ने कहा, ‘मैं नहीं जानती की ये मामला क्या है। कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती।’
मनुभाई छाबडि़या परिवार 874 करोड़ रुपए कई कंपनियों का मालिक है यह परिवार बेटी किरण वजीर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
महेश टीकमदास थारानी 251.7 करोड़ रुपए होम डेकोरेशन आयटम्स के व्यापारी प्रतिक्रिया पाप्त नहीं हो सकी।
अनु टंडन 35.8 करोड़ रुपए उन्नाव से कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं। ‘दिवंगत पति ने ये खाते खोले हों तो पता नहीं’
संदीप टंडन 166.1 करोड़ रुपए इंडियन रेवेन्यू सर्विस के पूर्व अधिकारी बाद में रिलायंस से जुड़े। 2010 में मौत हो चुकी है। पूर्व कांग्रेस सांसद अनु टंडन के पति थे।
श्रवण गुप्ता और शिल्पी गुप्ता 209.56 करोड़ रुपए रियल एस्टेट कंपनी ‘एम्मार’ के चेयरमैन। संपर्क किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
कुमार वेणु रमन 18.97 करोड़ रुपए पूर्व आईआरएस अधिकारी जो बाद में एस्सार ग्रुप से जुड़े। ‘20 सालों से एनआरआई हूं, मेरे अधिकारी टैक्स अधिकारियों को जानकारी दे चुके हैं’
एस.एम. नंदा, सुरेश नंदा 14.2 करोड़ रुपए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय नेवी चीफ थे एस.एम. नंदा। सुरेश नंदा पुत्र हैं। सुरेश नंदा ने कहा, ‘1987 से ही एनआरआई हूं और आईटी को सारी जानकारी दे चुका हूं।’
भद्रश्याम कोठारी परिवार। पत्नी नैना धीरूभाई अंबानी की पुत्री हैं। 195.6 करोड़ रुपए कोठारी ग्रुप के चेयरमैन। परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी।
मो. हसीब शॉ 13.2 करोड़ रुपए कश्मीरी कार्पेट और पश्मीना शॉल्स के निर्यातक इनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी।
धरमवीर तनेजा 10.8 करोड़ रुपए रिटायर बैंकर परिवार ने कहा, ‘हम आरबीआई को विदेशी बैंक खाते की जानकारी दे चुके हैं’
अालोक भारतिया 8.37 करोड़ रुपए बड़े बिजनेसमैन प्रतिक्रिया नहीं दी।
विश्वनाथ गरोदिया 6.6 करोड़ रुपए मंगल स्टील्स के चेयरमैन ‘हम आईटी अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।’
कुलदीप सिंह धींगरा, गुरबचन सिंह धींगरा 25.6 करोड़ रुपए बर्जर पेंट्स के मालिक। ‘आरबीआई और आईटी को जानकारी दे दी है और टैक्स सर्च चल रही है। ’


एचएसबीसी के 350 स्विस खातों की जांच पूरी : जेटली

वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ब्‍लैक मनी मामले में पिछले 7- 8 माह में कार्रवाई हुई है। ब्‍लैक मनी मामले में एसआईटी जांच कर रही है। एचएसबीसी के 350 स्विस खातों की जांच पूरी कर ली गई है। मार्च के आखिर तक अन्‍य बैंकों के स्विस खातों का असेसमेंट पूरा कर लिया जाएगा। जेटली ने कहा कि एचएसबीसी स्विस अकाउंट मामले में करीब 60 खाताधारकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।